विद्या की देवी सरस्वती मां
हम तेरी करते अराधना मां
हम तेरी करते अराधना,,,,2
हम अज्ञानी बालक तेरे
मन में ज्ञान की ज्योत जलादे
अज्ञान का घना अंधेरा सदा के
खातिर मां तू मिटा दे मां तू मिटा दे,
विद्या की देवी सरस्वती मां तेरी
करते हम अराधना मां अराधना,,,,,,2
दया दृष्टि मां हम पे रखना
सत बुद्धि दो और दो सत भावना
मां सत भावना ,
बुद्धि विवेक सदा हो सुन्दर
बनी रहे मन में सदा सभी के
लिए सत भावना मां,
सत भावना मां,,,,,,2
लोभ और मोह से हमे बचाना
नेक राह पर मां हमे चलाना,
ज्ञान ध्यान और सेवा भाव का
बनी रहे सदा मन में कामना,,,,,2
विद्या की देवी सरस्वती मां
हम तेरी करते मां उपासना मां,,,,,,2
विद्या की देवी सरस्वती मां
तू हम सब के मन में राष्ट्र भक्ति
की ज्योत जलादे,
एक बने हम नेक बने हम
नफरत द्वेष और ईर्ष्या की मां सारी
भावनाओ को मिटा दे,
विद्या की देवी सरस्वती मां
हम तेरी करते मां उपासना,,,,,,2
कवि: रमेश हरीशंकर तिवारी
( ररिक बनारसी )